Thursday 28 December 2017

कमोडिटी: बंपर उत्पादन में कहां तलाशें कमाई के मौके

नया साल सामने है और इस नए साल में कमोडिटी बाजार में कई नए बदलाव हुए हैं। नोटबंदी की मार से कमोडिटी बाजार कमोबेश उबर चुका है और देश का बाजार जीएसटी के तौर पर नए टैक्स युग में प्रवेश कर चुका है। फॉरेन ट्रेड पॉलिसी में भारी बदलाव हुए हैं। बंपर प्रोडक्शन के बीच बाजार को स्टॉक लिमिट से मुक्ति मिली है। बेशक  कुछ कमोडिटी की कीमतें जमीन पर आईं हैं तो वहीं कई कमोडिटी भारी मुनाफे का पिटारा साबित हुईं हैं। इन सबके बावजूद किसानों की आय बढ़ने के बजाए कम हुई है। सवाल ये है कि तमाम सुधारों और बदलावों के बाद नए साल में कैसी रहेगी कमोडिटी बाजार की चाल, जानेंगे आज।

लेकिन आगे बढ़ने से पहले ये जानना जरूरी है कि नए साल के लिए 2017 ने क्या दिया है। ऐसा क्या हुआ है जो नए साल में कमोडिटी बाजार की चाल पर असर डाल सकता है। 2017 में कमोडिटी के शहंशाहों की बात करें तो इस साल ग्वार सीड ने 30 फीसदी, ग्वार गम ने 48 फीसदी, मेंथा तेल ने 65 फीसदी, हल्दी ने 20 फीसदी और जीरा ने 9 फीसदी रिटर्न दिया है। वहीं, इस साल चने में 50 फीसदी, इलायची में 20 फीसदी, धनिया में 20 फीसदी, गेंहू में 10 फीसदी और कपास खली में 10 फीसदी की कमजोरी आई है।

2017 में कमोडिटी के हाल पर नजर डालें तो नोटबंदी के बाद मंडियों में कारोबार ठंडा रहा। अरहर, मूंग, उड़द और सोयाबीन एमएसपी के नीचे रहे। दाल और तिलहन की बंपर पैदावार देखने को मिली। अरहर, मूंग, उड़द का इंपोर्ट बंद और एक्सपोर्ट खुला। चना और मसूर पर 30 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगी। खाने के तेलों पर 40 फीसदी तक इंपोर्ट ड्यूटी लगी। गेहूं के इंपोर्ट पर 20 फीसदी तक ड्यूटी लगी। दाल, तेल, तिलहन और चीनी से स्टॉक लिमिट खत्म की गई। जुलाई से ब्रांडेड अनाज पर भी जीएसटी लागू हुआ। चना और काली मिर्च वायदा की दोबारा शुरुआत हुई और देश की 14 राज्यों में 470 मंडियां e-NAM से जुड़ीं।

कमोडिटी बाजार के आगे के आउटलुक पर बात करते हुए जानकारों का कहना है कि 2018 में ग्वार मालामाल कर सकता है। ग्वार गम का एक्सपोर्ट बढ़ने का अनुमान है। अमेरिका में ग्वार गम की मांग बढ़ी है। यूएस में क्रूड का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। बता दें कि 2017 में इसके भाव 30-48 फीसदी तक बढ़े हैं।

जानकारों के हल्दी में भी कमाई के मौके दिख रहे हैं। 2017 में भी इसमें करीब 65 फीसदी की तेजी रही। हल्दी ग्लोबल उत्पादन करीब 48000 टन रहा है। भारत में करीब 38000 टन उत्पादन हुआ है। अमेरिका, चीन और यूरोप में इसकी मांग बढ़ी है। हल्दी में कमाई के अच्छे मौके हैं क्योंकि हाजिर में हल्दी का स्टॉक कम है। हल्दी डेढ़ साल की ऊंचाई पर है और इस साल इसमें 20 फीसदी तक उछल देखने को मिला है।

उधर जीरे की तेजी पर ब्रेक की उम्मीद नजर आ रही है। सितंबर तक इसका 70,000 टन एक्सपोर्ट हुआ है। 2016 में कुल 1.19 लाख टन जीरे का एक्सपोर्ट हुआ था। गुजरात में जीरे की बुआई करीब 40 फीसदी बढ़ी है। 2017 में इसका भाव करीब 9 फीसदी बढ़ा है।

वहीं चने की बात करें तो इसके भाव 2.5 साल के निचले स्तर पर हैं। सारकार से दाल एक्सपोर्ट को इजाजत मिल गई है। इसके इंपोर्ट पर 30 फीसदी ड्यूटी लगी है। इसपर स्टॉक लिमिट पूरी तरह से खत्म कर दी गई है। बफर स्टॉक से दाल एक्सपोर्ट करने की तैयारी है। देश में करीब 1 करोड़ हेक्टेयर में चने की खेती हो रही है। इस साल करीब 2.3 करोड़ टन दाल पैदावार का अनुमान है।

साल 2018 में गेहूं में मुनाफे की उम्मीद दिख रही है। इस साल इसकी खेती करीब 4 फीसदी कम हुई है। गेहूं इंपोर्ट पर सख्ती की गई है और इस पर 20 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी गई है। 2017 में गेंहूं का भाव 10 फीसदी गिरा है। अप्रैल से सरकारी खरीद के बाद इसमें तेजी संभव है।

तिलहन की बात करें तो देश में सोयाबीन का भारी भंडार है। दुनिया में सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार हुई है। वहीं सरसों की बुआई करीब 5 फीसदी गिरी है। खाने के तेलों पर 40 फीसदी तक इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है।


      Missed call @8817002233
      Mail Us = starindiamarket@gmail.com

No comments:

Post a Comment